लाइब्रेरी में जोड़ें

हरिहरपुरी की कुण्डलिया



हरिहरपुरी की कुण्डलिया


आये सुखद बसंत ऋतु, हर डाली में फूल।

मत निराश होना कभी, हो आशा अनुकूल।।

हो आशा अनुकूल,सभी की किस्मत जागे।

घोर निराशावाद,हृदय से निकले भागे।।

कहें मिसिर कविराय,सभी में मधुरिम छाये।

प्रकृति बहाती रंग,निकट वह सबके आये।





   9
3 Comments

Sachin dev

06-Jan-2023 06:04 PM

Amazing

Reply

Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:43 PM

बेहतरीन

Reply