डॉ. रामबली मिश्र
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हरिहरपुरी की कुण्डलिया
आये सुखद बसंत ऋतु, हर डाली में फूल।
मत निराश होना कभी, हो आशा अनुकूल।।
हो आशा अनुकूल,सभी की किस्मत जागे।
घोर निराशावाद,हृदय से निकले भागे।।
कहें मिसिर कविराय,सभी में मधुरिम छाये।
प्रकृति बहाती रंग,निकट वह सबके आये।
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
08-Jan-2023 09:10 AM
शानदार
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Sachin dev
06-Jan-2023 06:04 PM
Amazing
Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:43 PM
बेहतरीन
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
08-Jan-2023 09:10 AM
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Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:43 PM
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